Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 49 ( Welcome Party-2)

"मैं अभी आया..."अपने तीनो दोस्तो से बोलकर मैं वहाँ से उठा और उस ओर चलने लगा...जो ऐश  की तरफ की जाता था..

मालूम नही उस तक पहुचने मे क्यों इतना वक़्त लग रहा था...  जैसे जैसे मैं उसकी तरफ बढ़ता एक अजीब सी  धुन मेरे कानो मे पड़ रही थी, उसकी आवाज़ अब  मेरे कानो मे पड़ रही थी..उसकी आवाज़ सुनते ही .मैं जहाँ तक पहुचा था,वही खड़ा हो गया और अपनी आँखे बंद करके वही खड़े, -खड़े हवा मे  अपने दोनो हाथ फैला लिए....आसमान का चाँद अब अपनी पूरी रंगत मे आ चुका था, जैसे वो भी हमारी वेलकम पार्टी मे मानो शरीक होना चाह रहा हो पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के जाल मे फंसे होने के कारण उसके लिए ये मुमकिन नही था और वो ऊपर से ही इस वेलकम पार्टी और ईशा को निहार रहा था ....

ईशा को आज देखने के लिए ना जाने मै  कब से राह ताक  रहा था...पर मैने जैसी ही अपनी आँख खोली ,वहाँ आस-पास कोई नही था...मैं चौक गया ये देखकर कि सब लोग कहाँ चले गये, वहाँ सच मे इस वक़्त कोई नही था या फिर वो सभी मुझे दिख नही रहे थे..? .मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि अरुण वहाँ अकेला बैठा हुआ मुझे जल्दी से ऐश  की तरफ जाने के लिए कह रहा था, मैने फिर सामने देखा...वहाँ अब  भी कोई नही था, सिर्फ़ एक लड़की सफेद ड्रेस मे किसी परी i की तरह सज- संवर कर बैठी हुई थी...फिर अचानक उसने अपनी नज़रें पीछे मेरी तरफ की और मुझे देखकर  मुस्कुरा दी...उसे मुस्कुराता हुआ देख कर मैने एक बार फिर अपनी आँखे बंद की और अपने दोनो हाथ फिर से हवा मे  फैलाकर.. चाँद को यहाँ ज़मीन पे आने का न्योता दे डाला ... इसके कुछ देर बाद ही किसी ने मुझे आहिस्ते से अपने बाँहो मे समेट लिया....मैं जानता था कि वो कौन है,...

"ऐश ...ईईईईईई..."

"ओये ,कहाँ खो गया बे..."किसी ने बुरी तरह मेरे बाँये हाथ को झड़कते हुए बोला....

"आनन्नह...."

"ये क्या आनंह कर रहा है, नींद लग गयी थी क्या..."अरुण ने पूछा ..

कुछ वक़्त तो मैं शांत रहकर ये समझने की कोशिश करने लगा कि ,आख़िर हो क्या रहा है, सभी वहाँ आस-पास बैठे हुए वेलकम पार्टी का मज़ा ले रहे थे.... पर जिनकी नजर मुझपर पड़ी थी वो आश्चर्य चकित हो, मुझे घूरे जा रहे थे और कन्फर्म करने की कोशिश कर रहे थे की.. मै कही पागल तो नही हो गया हूँ..? उस दिन चेयर को पटक कर तोडना और अब ये हरकत... मुझे भी खुद पर शक होने लगा था की.. कही मै सच मे तो पागल नही हो रहा...?

"झपकी लग गयी थी यार..."खुद को सँभालते हुए मैने कहा...

"ये कैसी झपकी है बे, दोनो हाथ फैला कर..."

"चल छोड़ ना..."अरुण को टोकते हुए मैने कहा"वो डांस  प्रोग्राम कब होगा...."

"नेक्स्ट वही है...उसमे तो डांस  वाली जोड़ियों का  नाम  तक  अनाउन्स हो गया..."

"क्या...? ऐश  के साथ कौन है..."

"गौतम..."

" ऐश  के साथ मैं क्यूँ नही हूँ ,इतनी सुंदर अप्सरा ,मुझ जैसे हैंडसम के साथ ही सूट करेगी, उस गौतम के साथ नही..."

"देख मेरा दिमाग़ मत खिसका..."अरुण आगे भी बहुत कुछ बकता, शायद गालियाँ भी देता ,लेकिन नवीन ने अरुण को रुकने के लिए कहा और मुझे समझाते हुए कहा...

"जो ग्रुप एंकरिंग  कर रहा है, उसी ने डांस के लिए जोडिया बनायीं है   और एंकरिंग करने वाले सिटी के है...तो तू खुद सोच सकता है कि बेनेफिट तो उसके दोस्तो को ही मिलेगा ना... जिन - जिन लड़को को जो - जो लड़किया पसंद थी.. सालो ने जुगाड़ करके उन्ही लड़कियों के साथ जोड़ी बना ली.. अब आधे घंटे तक साले लड़कियों के कमर, पीठ मे हाथ डालकर मजे लेंगे.. हवसी साले......"

"इसका मतलब हॉस्टल  वाले वेलकम पार्टी मे पार्टिसिपेट नही करते..."

"हॉस्टल  वाला तू है या मैं...??? ये तो तुझे मुझसे बेहतर मालूम होगा..."

मैं चुप हो गया,क्यूंकी इसके आलवा मैं कर भी क्या सकता था...मेरे पास कोई सूपर पॉवेर तो थी नही कि मैं वही खड़ा होकर अपनी दिलेरी दिखाता..... इसलिए धीरे-धीरे सभी लड़के अपनी-अपनी डांस  पार्ट्नर का हाथ पकड़ कर स्टेज पर ले गये...मुझे सब से कोई लेना देना नही था, मैं तो ऐश  को देख रहा था... अब मैं एक बार फिर उसे निहारते हुए उसकी शीतल सुंदरता पर मंत्र -मुग्ध हो रहा था.  मैने देखा की गौतम , ऐश  का हाथ पकड़ कर सामने ले गया  और थोड़ी देर बाद म्यूज़िक शुरू हो गया....

"क्या घंटा नाच रहे है, ये लोग...साले सब लड़के देहाती लग रहे है..."खुन्नस मे मैं बोला"यदि डांस  करना नही आता तो मुझसे सीख लेते... बायें हाथ से इनसे अच्छा डांस करता है अपुन 😎"

"अभी आगे -आगे देखो अरमान मिया, कैसे मज़ा आता है..."ये बोलकर नवीन चुप हो गया...अरुण इस वक़्त सीटी मारने मे तुला हुआ था...उस साले को ज़रा भी परवाह नही थी कि मुझपर उस वक़्त क्या बीत रही थी....

"कैसे मज़ा आएगा, ये देहाती आगे भी ऐसे ही डांस  करेंगे"

5 कपल्स इस वक़्त सामने स्टेज पर  थे...ऐश  ,गौतम के साथ थी और वरुण फर्स्ट एअर की किसी लड़की के साथ मज़े लूट रहा था... साले को ढंग से खड़े होते नही बन रहा था हमारी पेलाई के कारण. लेकिन फिर भी फर्स्ट ईयर की लड़की के चक्कर मे स्टेज पर जा पंहुचा था.. सबसे बड़ा चुतिया तो वही जोड़ी लग रही थी... मतलब कहा वो 7 साल से फेल होने वाला विशाल भयंकर दानव और कहा फर्स्ट ईयर की फुल जैसी कली... 😏

जहाँ जहाँ वो पाँचो कपल खड़े थे , उनके ठीक उपर एक अलग -अलग रंग मे चमकने वाली डिस्को लाइट लगी हुई थी, जो म्यूज़िक के साथ पुरे स्टेज मे विचरण कर रही थी  और हर एक कपल के चारो तरफ लाइट का एक घेरा बना देती...हर 5 मिनट. बाद उस लाइट का दायरा कम होता जाता... और कपल्स को उस दायरे के अंदर ही रह कर डांस करना पड़ता.. यदि उनका पैर उस डिस्को लाइट द्वारा बनाये सर्किल के बाहर चला जाता तो वो हार जाते... पर हारना कोई नही चाहता था, इसलिए जैसे ही सर्किल कम होता.. कपल्स एक दूसरे के और करीब आकर चिपकने लगते..., यानी कि हर 5 मिनट. बाद ऐश  और गौतम करीब आ रहे थे...उधर लाइट जली और इधर मेरा दिल जला, अरुण अब भी लगातार, नोन-स्टॉप सीटी मारे पड़ा था.....

"अबे अरमान, सामने देख...भारी मज़ा आ रहा है...वो देख वरुण ने फर्स्ट एअर वाली आइटम को गोद मे उठा लिया...."

"चल वापस हॉस्टल ...."

"क्यूँ "

मैं जवाब मे कुछ नही बोला, देर ही सही लेकिन अरुण को आख़िर कार समझ मे आ ही गया कि मैं उदास क्यूँ हूँ...वो बोला"चल आजा ब्लेंडर प्राइड  पिएंगे ..."

"ये क्या है..."

"डी+ए+आर+यू...."

"डी+ए+आर+यू.... daru.... मतलब दारू...?"मैने पुछा...

"यस..."

मैने फ़ौरन अरुण को इनकार किया और सामने देखने लगा, जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था दिल की जलन बढ़ती जा रही थी, फिर अचानक ही ख़याल आया कि यदि दिल जलाना ही है तो क्यूँ ना दारू पीकर जलाया जाए... वरना यहाँ तो जलकर पूरा राख़ मे तब्दील हो जायेगा

"कड़वा तो नही लगेगा..."

" नही बे, एकदम मज़ा आएगा..."

"उल्टी हो गयी तो..."

"अपुन है ना..."

"यदि ज़्यादा चढ़ गयी तो ...."

"अपुन है ना... अपुन ले जायेगा तेरे को उठा के .."

मैं कुछ देर के लिए फिर चुप हो गया और सोचने लगा कि अरुण के साथ जाउ या ना जाउ.....तभी मेरे कानो मे वो आवाज़ गूँजी...

"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."

वैसे अभी तक मैने सिगरेट पीकर मेरे बड़े भाई की इस नसीहत को सिर्फ़ आधा ही तोड़ा था और अब मैं ये सोच रहा था कि इसे पूरा तोड़ दूं या फिर आधा बचे रहने दूं.....

"एक बार पी लेते है, अगली बार से छुऊँगा तक नही... छुऊँगा क्या, देखूंगा तक नही... देखना तो बहुत दूर की बात है, सोचूंगा तक नही... बस आज बस पी लेता हूँ... हाँ, ये सही रहेगा  ..."मैने सोचा.. बहुत सोचा और फिर  अरुण को हां कर दी....

"तो चल, फिर.. आते है ..."कहते हुए हमने नवीन से उसके बाइक की चाभी ली और bhu के साथ वहाँ से निकल गये....

जब तक शराब की दुकान नही आ गयी मैं बाइक मे पीछे बैठा हुआ यही सोचता रहा कि दारू पीने के बाद मेरा क्या हाल होगा, मैं होश मे रहूँगा या फिर बेहोश हो जाउन्गा,....अरुण ने बाइक शराब दुकान के सामने रोकी और bhu  बाइक से उतरकर बिंदास दुकान की तरफ बढ़ा....

"अबे अरुण, थोड़ा डर लग रहा है..."bhu जब दुकान की तरफ गया तो मैने अरुण से कहा...

"डर मत बे, "

"कहीं मैने ऐश  के साथ कुछ उल्टा सीधा किया तो..."

"कोशिश भी मत करना...वरना सिटी वाले भक्कम  पेलेंगे, बाद मे भले हॉस्टल  के पास वो मार खा जाए.. लेकिन ऑन द स्पॉट.. वो पेलेंगे ."

Bhu हाथ मे एक बड़ी सी बोतल लेकर आया और बोला

"साला,  बोतल छुते ही नशा चढ़ गया, अयि साला...  चल घुमा गाड़ी उस बनिये के दुकान की तरफ....चखना लेना है "

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4 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:41 PM

Nice

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:44 PM

बहुत बढ़िया भाग

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Zakirhusain Abbas Chougule

08-Sep-2021 04:12 PM

Nice

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Yug Purush

08-Sep-2021 08:17 PM

Thanx

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